ग़ज़ल हिजाब -13-Apr-2022
ग़ज़ल
इस्लाम को हिजाबी मोहब्बत पे नाज़ है
गै़रत पे नाज़ है तेरी हिम्मत पे नाज़ है
तू चल पड़ी अकेले जहां जारी खौफ था
मुस्कान तेरी सब को जसारत पे नाज़ है
मैदाने पुर ख़तर में है नअ़रा लगा दिया
तुझ को मिली ये प्यारी सआ़दत पे नाज़ है
क्या होगा जाके सोचा नहीं तूने ये ज़रा
ईमानी तेरे प्यारे इरादत पे नाज़ है
ये फख्र तरबियत पे तेरी कर रहा था क़मर
मां बाप की वो तुझ को हिदायत पे नाज़ है
क़मर रज़ा सैफी बरेलवी
Renu
14-Apr-2022 05:21 AM
👏👌
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Qamar Raza Saifi
14-Apr-2022 06:25 PM
Thanks so much
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Swati chourasia
13-Apr-2022 01:26 PM
बहुत खूब 👌
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Qamar Raza Saifi
14-Apr-2022 06:26 PM
Thanks so much
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Reyaan
13-Apr-2022 12:16 PM
Nice 👍🏼
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Qamar Raza Saifi
14-Apr-2022 06:26 PM
Thanks so much
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